♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

तीन लोग बता सकते हैं पहला डाक्टर-दूसरा मरने वाले के परिजन और तीसरा कोरोना शवों का संस्कार करने वाला पंडित

मोहाली 16 अप्रैल ( )। जो लोग कोरोना वायरस की पहली स्टे्रन देखने और जानने के बाद भी बार-बार सरकार और प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और आए दिन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। उनके लिए यह खबर खास किसी मार्ग दर्शक से कम नहीं है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस को एक साल का समय बीत जाने के बाद भी कोरोना के मरीजों की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोत्तरी होने लगी है जिसका कारण स्वास्थ्य विभाग से जुड़े माहिर लोगों का मानना है कि कोरोना की दूसरी स्ट्रेन पहले वाले से काफी घातक हैं और इसका सीधा असर नाक और गले पर न हो कर कहीं न कहीं सीधा अटैक व्यक्ति के फेफड़े आदि से हो रहा है जिसके चलते ज्यादा संख्या में व्यक्तियों की मौत हो रही है।
किन्तु यदि बात की जाए जो लोग आए दिन कोरोना माहमारी को हल्के में ले रहे हैं और जगह-जगह कहते फिरते हैं कि कोरोना है भी या नहीं , तो उनको यदि किसी से जवाब चाहिए तो उनको तीन ही व्यक्तियों से बात कर लेनी चाहिए। सब कुछ क्लीयर हो जाएगा। ऐसा हम नहीं कर रहे, बल्कि मोहाली बलौंगी के  पास स्थित शमशान घाट में कई सालों से अनेकों तरह की शवों का संस्कार करने का दावा रखने वाले यहां के पुजारियों का है। खास करके पिछले एक साल से कोरोना के मरीजों की मौत हो जाने पर शवों का संस्कार करने वाले पंडित अजमेर सिंह और उनके साथ अमृत लाल का कहना है कि कोरोना बीमारी को हल्के में लेने वाले लोगों को सिर्फ यहां कोरोना पीडि़त शवों का संस्कार करने वाले पूजारियों, इलाज करने वाले अस्पताल के डाक्टरों और जिनके परिजनों को कोरोना हुआ और वह आज इस दुनियां में नहीं हैं और उन्होंने कोरोना मरीज को झेला है तो उनसे बेहतर और कोई नहीं बता सकता।
मोहाली शमशानघाट में कोरोनाग्रस्त शवों का संस्कार करने वाले पुजारियों की माने तो उन्होंने अपनी आंखों और कानों से सब कुछ देख और सुन रहे हैं, कि कोरोना कितना घातक बीमारी है। उनके अनुसार कई बार बहुत सीमित संख्या में संस्कार करवाने आए कोरोना मरीज व्यक्ति के शव को भी आखिरी बार हाथ लगाने से घबरा जाते हैं और देर से ही दर्शन करना उचित समझते हैं। वहीं जिसके घर का प्राणी गया होता है उसे अंतिम बार बिना हाथ लगाए किस कद्र अंतिम विदाई देनी पड़ती है उसके परिवारिक सदस्य ही जानते हैं।
बाक्स
बढ़ते कोरोना मरीजोंं के शव चिंता का विषय
मोहाली। मोहाली शमशानघाट के पुजारी अजमेर सिंह पिछले 2० सालों से शवों के संस्कार का कार्य विभिन्न जगहों पर करते आए हैं और मोहाली में पिछले तीन सालों से लगातार कार्य कर रह रहे हैं, लेकिन जिस तरह वर्तमान में आए दिन कोरोना मरीजों के शवों में इजाफा हो रहा है, उससे उन्होंने भविष्य में संस्कार आदि करने के मामले में गहरी चिंता व्यक्त की है और लोगों से अपील की है कि लोग सरकारी नियमों का पालन करें और कोरोना से बचाव रखें। उन्होंने कहा कि मोहाली में वर्तमान में तीन तरह से शवों का संस्कार किया जा रहा है, जिसमें पहले कोरोना मरीजों के शवों को इलैैक्ट्रॉनिक शवदाह मशीन से और दूसरा साथ ही मशीन के पास खुले में बनाए गए मैदान में शवों को जला कर किया जा रहा है। इसी तरह तीसरे में आम की तरह जैसे पहले शव शमशानघाट में आते हैं और उनको उनकी रस्मों के हिसाब से संस्कार किया जाता था।
बाक्स
इलैक्ट्रॉनिक शवदाह मशीन दे रही जवाब, महीने में दो बार करनी पड़ रही मरम्मत
मोहाली। पुजारियों अनुसार कोरोना मरीजों के शवों को इलैक्ट्रॉनिक शवदाह मशीन और ओपन तरीके से दोनों माध्यम से संस्कार किया जा रहा है। लेकिन शवों की संख्या बढऩे से मशीन ज्यादा चलने और गर्म रहने से दिक्तत दे रही है जिसके चलते महीने में दो बार मशीन को मरम्मत करना पड़ रहा है और मशीन से बॉडी टार (धुआं) निकालना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इलैक्ट्रॉनिक मशीन को यदि सुबह सात बजे से चलाया जाए तो अधिक से अधिक चार शव और ओपन में तीन कोरोना ग्रस्त शव का संस्कार किया जा सकता है। लेकिन  मशीन की तारे चल जाती है, ज्यादा गर्म होने से मशीन के पुर्जे टूट रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना ग्रस्त लगभग 35० के करीब शवों का संस्कार कर चुके हैं। जबकि रोजाना वर्तमान में 3-4 कोरोना ग्रस्त शवों का संस्कार किया जा रहा है।

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

आप अपने सहर के वर्तमान बिधायक के कार्यों से कितना संतुष्ट है ?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129