श्रीराम वन गमन पथ अंतर्राष्ट्र्रीय काव्ययात्रा का हुआ मंचन
मोहाली 21 अप्रैल (विजय )। राष्ट्र्रीय कवि संगम के राष्ट्र्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल व महासचिव डाक्टर अशोक बत्रा के नेतृत्व में श्रीराम वनगमन-पथ अंतरराष्ट्र्रीय काव्ययात्रा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस काव्ययात्रा में भगवान श्रीराम के वनगमन के दौरान जिन स्थानों पर भगवान के चरण पड़े, उन लगभग 249 स्थानों पर श्रीराम को समर्पित कवि सम्मेलन, श्रीराम कथा व भजन संध्या आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। इस भव्य यात्रा का शुभारंभ श्रीलंका से मकर संक्रांति 2022 से होगा एवं 8 राज्यों के पावन स्थानों से होते हुए महाशिवरात्रि को अयोध्या में समापन होगा। जिसमें कुल 51 दिन का समय लगेगा और लगभग 6500 किलोमीटर की यात्रा रहेगी। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की मंगल भावना हेतु श्रीरामनवमी के पावन पर्व पर कवि संगम की सभी इकाईयों के साथ-साथ प्रांत चंडीगढ ने भी काव्य व विचार गोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें मुख्य अतिथि भिवानी के चर्चित गीतकार विकास यश कीर्ति व जानी- मानी साहित्यकारा प्रो.अलका काँसरा की अध्यक्षता में 15 रचनाकारों ने श्रीराम जी के जीवन मूल्यों पर आधारित अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में महासचिव अनिल चिंतित के संचालन में होने वाले इस कार्यक्रम में संगम की अध्यक्षा श्रीमती संतोष गर्ग, उपाध्यक्ष रंजन मगोत्रा व नेहा शर्मा, मोनिका कटारिया, सुनीता गर्ग, रेणुका चुघ मिढ्ढा, परमिंदर सोनी, संगीता राय, मंजू बिसला, विमला गुगलानी, बीजेंद्र सिंह चौहान, नेहा शर्मा, डा0 अनीश गर्ग, मेधावी बहल, रंजन मगोत्रा, नीरू मित्तल एवं बबीता कौशिक ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।
अंत में अध्यक्षीय भाषण में प्रो.अलका काँसरा ने अपने सम्बोधन में बताया कि श्रीराम अपने वनवास काल में एक जगह न ठहर कर घूमते रहे और सबरी, निषादराज, अहिल्या के साथ- साथ गरुड़ जी, जामवंत, हनुमान जी आदि सभी प्राणीमात्र को बराबरी का दर्जा दिया। जटायु को पक्षी नहीं माना बल्कि साथी मानकर उसका विधिवत संस्कार किया।
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