ईद के अवसर पर मुस्लिम भाई गले लग कर नहीं करेंगें एक दूसरे को ईद मुबारक
मोहाली 13 मई (विजय)। ईद-उल-फितर मुस्लिम धर्म का प्रमुख त्यौहार है। ईद का त्यौहार रमजान के पाक महीने के खत्म होने के बाद जब चांद दिखाई देता है तो उसके अगले दिन मनाया जाता है। ईद-उल-फितर का त्यौहार 14 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा। लेकिन इस बार हर बार की तरह एक दूसरे को गले लग कर ईद मुबारकबाद नहीं कहा जाएगा, बल्कि सरकार की जारी गाइडलाइन और कोरोना नियमों का पालन करके ईद घरों में रह कर मनाने का फैसला किया गया है और कुछ ही मुस्लिम भाई मस्जिद में नामाज़ अदा करने के लिए शिरकत करेगें। उपरोक्त विचार हुसैनी एसोसिएशन मोहाली के पदाधिकारी और सैक्टर-79 सिस्त सिया समुदाय की मजिस्द के मुख्य प्रबंधक मोहम्मद अली शहगर ने ईद पर्व को लेकर विशेष बातचीत में व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि इस बार घरों में हर कर ही ईद का पर्व मनाया जाएगा, जिसको लेकर मन में और मुस्लिम भाइयों के मनों में काफी दु:ख भी है, लेकिन वैश्यिक महामारी के आगे जोर किसका चलता है और हम सभी को भी सरकारी गाईडलाइन और कोरोना नियमोंं का पालना करना चाहिए जो कि मुस्लिम भाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले यह होता था कि मजिस्दों में बकायदेतौर पर काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्रित होते थे और खुशी-खुशी ईद मनाते थे। लेकिन इस बार मुस्लिम समुदाय के बड़े-बड़े गुरूओं ने भी ईद को घरों पर रह की सुरक्षित रहते हुए मनाने का पैगाम सुनाया है और तथा के जारी आदेशों/ नियमों का पालन किया जा रहा है।
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पंजाब की एकमात्र पहली सिया समुदाय की मस्जिद मोहाली में
मोहाली। मुस्लिम भाइयों के लिए एक सबसे बड़ी खुशी की बात यह भी है कि पूरे पंजाब में अभी तक सरकारी जमीन पर सिया समुदाय की कोई भी मस्जिद नहीं थी, लेकिन हुसैनी एसोसिएशन और सिया समुदाय के मुस्लिम भाइयों की मेहनत सदका अकाली बादल सरकार में मोहाली के सैक्टर-79 में सिया समुदाय की पहली मस्जिद बन कर तैयार हो चुकी है, और बाकी रहते निमार्ण कार्य को कोरोना के चलते रोक दिया गया है। इस मामले में अपनी राय देते हुए मो. अली शहगर ने बताया कि पंजाब के मलेरकोटला में एक सिया समुदाय की मस्जिद है, लेकिन वह सरकारी जमीन पर नहीं है। लेकिन पूरे पंजाब में यदि बात की जाए तो मोहाली की यह पहली मजिस्द है जो सिया समुदाय के लिए बनाने में सफल हो पाए हैं, जहां नीचे 35० के करीब और पहली मंजिला पर 4०० के करीब मुस्लिम भाइयों को एक साथ नामाज़ अदा करने की व्यवास्था की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम समुदाय में दो मुख्य समुदाय है जिनमें एक सिया और दूसरा सुन्नी, लेकिन सुन्नी समुदाय की मस्जिद काफी है। जबकि सिया समुदाय की यह पहली मस्जिद है जो काफी हद तक बन चुकी है और इस ईद के मौके पर सिया समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा भी है। उन्होंने बताया कि पूरी मस्जिद कंक्रीट की मदद से बनाई गई और ईटों का इस्तेमाल नामात्र ही किया गया है। इस दौरान उनके साथ मो. जाफर,हुसनैन राजू भी उपस्थित थे।
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