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मोहाली के कोविड आइसोलेशन वार्ड भर्ती कोरोना मरीजों के परिजनों से एमएमओ कार्यालय के बाहर एकत्रित हो जताया रोष

मोहाली 16 मई (विजय)। मोहाली फेस-6 के सीविल अस्पताल जिसे अब कोरोना मरीजों के लिए आईसोलेशन वार्ड बना दिया गया है और मरीजों को भर्ती करके उनके इलाज करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन यह किस तरह का कैसा इलाज मिल रहा है , इसके बारें में तो अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों से बेहतर कोई और नहीं बता सकता। यहीं कारण है कि जब रविवार को अस्पताल प्रबंधकों की ओर से कोरोना मरीजों के परिजनों को मौखिक तरीके से यह फरमान सुनाया गया कि अब कोई भी अपने मरीज के पास एक भी व्यक्ति अटैेंडेंट के तौर पर भी नहीं रह सकता। जिसे लेकर पिछले 1०-1० दिनों से अपने कोरोना पॉजिटिव मरीजों का देखभाल करने वाले लोग भडक़ गए और अस्पताल प्रबंधकों के जारी फरमान का विरोध करते हुए एसएमओ -2 के कार्यालय को घेर लिया।
गौरतलब है कि जिस समय यह अटैंडेंट एसएमओ-2 के कार्यालय के बाहर दर्जनों की संख्या में एक दूसरे से बिना किसी तरह की सामजिक दूरी के खड़े थे और कई तो अस्पताल आने वाले अन्य मरीजों से भी और उनके परिजनों से बात करते दिखाई दिए। ऐसे में मरीजों के परिजनों को अस्पताल और वार्ड के डाक्टरों की ओर से बार-बार समझाया गया कि वह ऐसा न करें, क्योंकि सभी कोरोना मरीजों के साथ मिलते हैं और पॉजिटिव हो सकते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस अन्य लोगों को भी फैल सकता है। लेकिन गुस्साए लोग नहीं माने और बाद में पुलिस को दखल देना पड़ा और फिर जा कर मामला शांत हुआ।
इस दौरान पत्रकारों से अपनी आप बीती कोरोना मरीजों के कई परिजनों से बताया कि अस्पताल में हालत काफी बुरे हैं। इतना ही नहीं एक ओर जहां आइसोलेशन में भर्ती मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है। वहीं उन्हें न तो कोई खाने के लिए बोलता है और न कोई पानी को देता हैत्र बस जो जहां बेड पर पड़ा है पड़ा । मरीजों के परिजनों का आरोप था कि डाक्टर सिर्फ एक बार आते हैं और खानपूर्ति करके चले जाते हैं, जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है और इसीलिए वह अपने मरीजों के साथ रहना चाहते हैं। लेकिन अब उनको बाहर निकाला जा रहा है। मरीजों के परिजनों का आरोप था कि जिस तरह अस्पताल प्रबंधन का रवैया है यदि वह अपने मरीजों के साथ न मिले और न रूके और समय समय पर खाना-पानी और बाथरूम जैसी सुविधाएं न मुहैया करवाई तो उनकी हालत और भी नाजुक हो जाएंगें।
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अस्पताल प्रबंधन को क्यों उठाना पड़ा इतने दिनों बाद ऐसा कदम?
मोहाली। मोहाली के एसएमओ-2 डा. एचएस चीमा का कहना है कि गत दिवस आइसोंलेशन वार्ड में एक मरीज का अटैंडेंट शराब पीकर आ गया है और काफी बौवाल किया था। इसके अलावा उसने अस्पताल में तोडफ़ोड़ृ भी की थी जिसके चलते आगे कोई अनहोनी बात न हो जाए। इसलिए ऐसा कदम उठाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब मरीजों के परिजनों / अटैंडेंट को अंदर रहने नहीं दिया जाएगा और जरूरत पडऩे पर 1० मिनट के करीब मिलने का समय दिया जाएगा।
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कोरोना मरीजों के अटैंडेंट मास्क पहन कर जाते हैं, होम क्वारनटीन होने की जरूरत नहीं
मोहाली। उपरोक्त फरमान के बारें में जब अस्पताल के एसएमओ -2 के बात की गई जो अटैंडेंट है वह लंबे समय से अपने कोरोना मरीजों के साथ रहते रहे हैं और यदि उनको इधर-उधर बिना किसी तरह के होम क्वारनटाईन किए जाने दिया गया तो क्या कोरोना नहीं फैलेगा तो एसएमओ ने कहा कि कोविड मरीज के अटैंडेंट मास्क लगा कर जाते हैं। इसलिए उन्हें होम क्वारटाइन होने की जारूरत नहीं। जिस पर पत्रकारों से बातचीत में मरीजों के अटैडेंट का कहना था कि वह पिछले दस दिनों से लगातार अपने कोरोना मरीजों के साथ ही रह रहे हैं। हालांकि वह अपने घर तो नहीं जाते हैं, लेकिन इसकी क्या गारंटी की वह पॉजिटिव न हो। मास्क क्या चीज है फिर डाक्टर पीपीई किट ही क्यों पहनते हैं मास्क लगा कर इलाज करें। लेकिन अब अस्पताल परिसर में घूमना और इधर-उधर बैठना उनकी मजबूरी बन जाएगी क्योंकि मरीजों को अस्पताल प्रबंधकों के सहारे तो नहीं छोड़ा जा सकता। क्योंकि अस्पताल में बाथरूम जाना, खाना खाना और पानी पीना उनके स्वंय से ही पड़ता है और पडृ़ेगा अन्यथा कोई करने वाला नहीं।

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