कालेजज मैनेजमेंट फेडरेशन ने उच्च शिक्षा मंत्री को सांझा दाखिला पोर्टल मुल्तवी करने संबंधी सौंपा मांग पत्र
मोहाली 17 मई (विजय)। गैर सरकारी कालेजज फेडरेशन पंजाब व चंडीगढ़ के एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल ने आज पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के साथ चंडीगढ़ में मुलाकात करते हुए अगले 2021-22 शिक्षण सेशन के लिए सरकार द्वारा सांझा दाखिला पोर्टल मुल्तवी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उक्त लागू की जा रही नई प्रणाली पक्षपाती है। कालेजों की स्वायत्तता पर हमला है तथा इसके साथ विद्यार्थियों को दाखिलों संबंधी कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इस संबंधी मंत्री बाजवा ने शिष्टमंडल से बातचीत गंभीरता से सुनने के बाद इस मसले के हल के लिए जल्द कार्रवाई करने का भरोसा दिया। शिष्टमंडल ने अपने मांग पत्र में सरकार के उच्च शिक्षा विभागद्वारा पिछले दिनों जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा कि कॉमन एडमिशन पोर्टल के अलावा शिक्षा विभाग द्वारा कालेज के कामकाज में बड़े स्तर पर दखलअंदाजी, कम हो रही ग्रांट व कालेज की प्रबंधक कमेटियों में प्रतिनिधियों की नामजदगी के बारे भी विस्तार पूर्वक विचार विमर्श किया। शिष्टमंडल की अगुआई कालेजज फेडरेशन के मीत प्रधान राजिंदर मोहन सिंह छीना ने की, जिन्होंने इस अवसर पर कहा कि वह मंत्री बाजवा के शुक्रगुजार है कि उन्होंने सारे मुद्दों को विस्तार से सुनते हुए निर्धारित समय म ें योग्य हल का वायदा किया है। इस दौरान उनके साथ फेडरेशन के सचिव गुरविंदर सिंह, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डा. एसपी सिंह, ऐतिहासिक खालसा कालेज गवर्निंग कौंसिल के सीनियर सदस्य भगवंतपाल सिंह सच्चर, एसजीपीसी की डायरेक्टर शिक्षा डा. तजिंदर कौर धालीवाल, राकेश धीर, देव समाज सोसायटी से अगनीश ढिल्लो, लायलपुर खालसा कालेज जालंधर के प्रिंसिपल डा. गुरपिंदर सिंह समरा मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही सरकार द्वारा पंजाब की तीन यूनिवर्सिटियां पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला व गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के अंतर्गत आते कालेजों में सांझा दाखिला पोर्टल लागू करने की प्रदेश भर में आलोचना हुई है। यह फैसला शिक्षा के लिए विनाशकारी साबित होगा। क्योंकि कालेजों में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों को बड़े स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ सकती है। कालेजज मैनेजमेंट ने इस फैसले को एकतरफा करार देते हुए यह भी नारागजी प्रकट की है कि यह बड़ा फैसला थोपने से पहले उनके साथ कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया। यह भी कहा जा रहा था कि उच्च शिक्षा क्षेत्र पहले ही कोविड जैसी भयानक महामारी के फलस्वरूप मुश्किलों में है तथा इस फैसले से विद्यार्थियों को शिक्षण पक्ष से काफी नुकसान सहना पड़ेगा।
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