हमारे सैनिकों की जान जोखिम में डालना देश की सुरक्षा को खतरे में डालना : आप लीडर राजलाली गिल
मोहाली 23 मई (विजय)। साल की इस तरह की तीसरी घटना में, हमारा देश आज एक और जांबाज अधिकारी के खोने का शोक मना रहा है, किन्तु एक लापरवाह और गैर-जिम्मेदार मोदी सरकार के लिए एक और बेटा स्क्वाड्रन लीडर अभिनव चौधरी मौत के मुंह में चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस मिग-21 से उपरोक्त घटना घटी और स्क्वाड्रन लीडर अभिनव चौधरी की जान गई। यदि उसे समय रहते ही मोदी सरकार ने 2 दशक पहले निरर्थक बना दिया होता तो यह सब कुछ न देखना पड़ता। उपरोक्त विचार मोहाली में आम आदमी पार्टी की सीनियर लीडर व पंजाब वूमेन विंग की पूर्व प्रधान राजलाली गिल ने स्क्वाड्रन लीडर अभिनव चौधरी की मौत पर गहरा शोक प्रगट करते हुए कहा।
उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भारतीय वायु सेना मिग 21 उडऩे वाले ताबूत और मिग 27 को जमीन पर क्यों नहीं उतारती जबकि रूसियों ने खुद उन्हें जमीन पर उतारा है?। आप लीडर ने कहा कि वर्ष 2007 में, कांग्रेस द्वारा संचालित सरकार ने मध्यम बहु-भूमिका लड़ाकू विमान (एमआरसी) विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की। छह विक्रेताओं को शॉर्टलिस्ट किया गया था जिनमें रूसी एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन, स्वीडिश एयरोस्पेस कंपनी साब, फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन एसए, यूएस की लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन और बोइंग, और ब्रिटिश, जर्मन, स्पेनिश और इतालवी फर्मों का एक संघ। किन्तु पहले 18 विमानों को फ्लाई-अवे स्थिति में बेचा जाना था, जबकि शेष 108 का निर्माण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों के तहत किया जाना था। फिर, अप्रैल 2018 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल की बातचीत को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि एमआरसीए टेंडर के लिए, फ्रांस सरकार के साथ सीधे सौदे के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा की। बाद में, जुलाई 2018 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद को सूचित किया कि केंद्र ने 126 एमआरसीए फाइटर जेट्स के लिए बहु-अरब डॉलर का टेंडर वापस ले लिया है। आप लीडर ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के हाथ खून से लिबड़े हुए और जल्द ही उनके विभिन्न कर्म दोष जल्द ही उन्हें उनकी हकीकत से रूबरू करवा देंगें।
आप लीडर श्रीमति गिल ने कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने बार-बार सरकार को उनकी समाप्ति की तारीख से काफी पहले सैन्य विमानों के निरंतर उपयोग पर चेतावनी दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, मोदी सरकार उनके अभेद्य हठधर्मिता और मानव जीवन के प्रति उदासीनता के प्रति दृढ़ रही है। लेकिन हमारे विनम्र चायवाले ने खुद को विनाशकारी एयर इंडिया वन खरीदने के लिए करदाताओं के लगभग 8,458 करोड़ रुपये खर्च करने से पहले एक एक बार भी नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं के लिए दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों की जान चली गई, हमारे बेटे उनके ट्वीट के लिए रिप लिखने या ताबूतों पर फूलों की माला भेजने के लिए सिर्फ एक खबर है और बस इतना ही। वे अपनी आवाज नहीं उठाते हैं, वे अपने परिवारों के साथ खड़े नहीं होते हैं क्योंकि ताबूत में पड़े शव उनके प्रियजनों के नहीं हैं। सीएम कैप्टन अमरिंदर को केवल ट्वीट के बजाय (जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली में शहीद सैनिकों के लिए करते हैं) परिवार के लिए मदद की घोषणा करनी चाहिए थी। उनके कई अन्य मंत्रियों ने स्वयं उन नायकों का दावा किया, जो लोगों और उनके अधिकारों के लिए लड़ रहे थे, उन्होंने परिवार को शोक संदेश लिखने की भी जहमत नहीं उठाई। क्योंकि वे ट्विटर पर कुर्सी के लिए शब्दों की जंग लडऩे में व्यस्त हैं और पार्टी की कमान संभालने के लिए उत्सुक हैं। धिक्कार है उन पर इस पाखंड के लिए। राजालाली ने कहा कि हमारे सैनिकों की जान जोखिम में डालना देश की सुरक्षा को खतरे में डालना है। उन्होंने कहा कि वह उपरोक्त घटनाक्रम से काफी आहत हैं क्योंकि वह रक्षा परिवार से आती हूं। शवों को तिरंगे में लिपटे ताबूतों में घर आते देख। कल्पना कीजिए कि बूढ़े माता-पिता और पत्नी इस दौर से कैसे गुजरते हैं, फिर भी गर्व से आंसू रोक रहे हैं, उन्हें सलाम करना उनके साथ चुपचाप मरने जैसा होता है
Please Share This News By Pressing Whatsapp Button