संत महापुरूषों का आर्शीवाद लेकर मिलता है मन को शुकून: समाज सेविका नीलिमा शर्मा
मोहाली 1 जून (विजय)। संत महापुरूषों का आर्शीवाद लेकर मन को बड़ा ही शुकून मिलता है। क्योंकि संत महापुरूष बनना और उसके बाद अपनी मर्यादा को बना कर रखना हर किसी की बस की बात नहीं है। उपरोक्त विचार प्रसिद्व समाज सेविका निलिमा शर्मा ने श्री श्री जगतगुरु पंचानंद गिरी जी महाराज के दर्शन करने और उनका आर्शीवाद लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में व्यक्त किया। निलिमा शर्मा का कहना है कि वह लंबे समय से समाज सेवा के कार्य में लगी हैं और अपनी टीम के साथ जहां कहीं समाज सेवा का मौका मिलता है उस कार्य को करने में पीछे नहीं हटती है। उन्होंने कहा कि समाज सेवा का कार्य करना भी एक त्याग है और इसमें आपको बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है तब कहीं जा कर समाज सेवा होती है। क्योंकि इसमें परिवार का अपासी तालमेल होना,मित्रों के कार्यक्रम और कई बार परिवारिक प्रोग्राम को भी छोड़ की जरूरतमंद के पास उसकी मदद के लिए जाना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि कोई आपस से किसी उम्मीद से मदद की गुहार लगाता है और आप उसे समय रहते राशन, व उसकी जरूरत का समान मुहैया नहीं करवा सकते हैं तो बाद में उसका देने का कोई फायदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि वह काली माता पटियाले वाले श्री श्री जगतगुरु पंचानंद गिरी जी महाराज के दर्शन कर के आपने आपकों को धन्य मानती हैं। उन्होंने कहा कि संत महापुरूष के आश्रम और उनके स्थान पर जा कर काफी शुकून मिलता है और समाज सेवा के कार्यो में ताकत मिलती है। उनहोंने बताया कि कोरोना काल में कई समाज सेवी संस्थाएं लोगों खास करके जरूरतमंद लोगों के लिए राशन, और फूड पैकिट से लेकर अन्य तरह से मदद कर रही हैं और उन्होंने भी अपना समाज सेवा का कार्य लगातार जारी रखा हुआ है।
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