साल 2०22 तक टेक्निकल एजुकेशन के उभरते क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भारत सरकार का मु2य लक्ष्य: अनिल डी सहरसाबुद्धे
मोहाली 23 अगस्त (विजय)। ‘भारत सरकार की अटल अकादमी ने 148 कार्यक्रमों के तहत 1.67 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है, जबकि वर्ष 2०22 तक टे1िनकल एजुकेशन के उभरते क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटि1स, 3डी प्रिंटिंग, 4लॉकचैन टे1नोलॉजी, 1लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सि1योरिटी जैसे उभरते क्षेत्रों में नौकरी की बढ़ती संभावनाओं और उद्योग क्षेत्र की कार्य प्रणालियों में अभूतपूर्व बदलाव के अनुसार फैकल्टी का सशक्तिकरण तथा छात्रों को तैयार करने के लिए फैकल्टी ए1सचेंज जैसे प्रोग्राम समय की प्रमुख आवश्यकता हैं।’ ये श4द चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए भारत के सबसे बड़े इंटरनेशनल फैकल्टी ए1सचेंज प्रोग्राम के दौरान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष श्री अनिल डी सहरसाबुद्धे ने कहे। उद्घाटन समारोह के दौरान केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टे1नोलॉजी स्वीडन के प्रो. डॉ. वी. कोरेनिव्स्की; केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टे1नोलॉजी, स्वीडन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एंड्रियास हरमन; ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया में एसोसिएट प्रोफेसर ज्योफ डि1सन; काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर की वाइस प्रेसिडेंट मिस सपना और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो.चांसलर डॉ. आरएस बावा विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस अवसर पर बात करते हुए अनिल डी सहरसाबुद्धे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैकल्टी ए1सचेंज प्रोग्राम एनईपी-2०21 के लिए बहुत मह8पूर्ण प्रोग्राम है। फैकल्टी ए1सचेंज प्रोग्राम और छात्रों के लिए डबल डिग्री प्रोग्राम जैसे कदम भारत को वैश्विक स्तर पर शीर्ष पायदान पर लाने में मह8वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि देश में एकेडमिक और टै1िनकल क्वालिटी को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने उच्च शिक्षा में ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटव1र्स (ज्ञान) नामक एक नए कार्यक्रम को मंजूरी दी, जिसके तहत कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 3००० से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी हमारे साथ जुड़ी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए ज्ञान प्लस प्रोग्राम के तहत भारतीय प्रोफेसरों के लिए इंटरनेशनल विश्वविद्यालयों में एक्सचेंज का अवसर प्रदान कर भारतीय शिक्षण में गुणव8ाा लाने का प्रयास किया गया है।
आर्किटेक्चर के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बात करते हुए मिस सपना ने कहा कि इंटरनेशनल फैकल्टी एस्चेंज प्रोग्राम आइडिया, टे1नोलॉजी, रिसर्च और ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर में महिला-पुरुष का अनुपात 5०-5० प्रतिशत है, परंतु केवल 17 प्रतिशत महिलाएं करियर के तौर पर आर्किटेक्चर क्षेत्र का चयन करती हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में महिलाओं की कम भागीदारी के कारण और चुनौतियां के लिए हमें एकजुट होकर विचारविमर्श करके समाधान निकालने की ओर ध्यान देना चाहिए। विद्यार्थियों को आर्किटेक्चर के क्षेत्र में आगे आना चाहिए तथा फैकल्टी को नेशनल ए1सीलेंस अवॉर्ड इन आर्किटेक्चर के लिए अपने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए और छात्रों को निस्वार्थ भाव से समाज के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस बारे में बात करते हुए प्रोफेसर ज्योफ डि1सन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और तकनीकी महाशक्ति है। भारत कौशल प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत है और ऑस्ट्रेलिया के लिए छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि भारत ऑस्ट्रलिया का गठबंधन दोनों देशों को एजुकेशन, रिसर्च एंड स्किल्ज के क्षेत्र में उन्नति के लिए प्रयासरत हैं। मल्टीकल्चरल फैकल्टी एंड स्टूडेंट ए1सचेंज विद्यार्थियों में नए विचारों और मूल्यों का निर्माण करते हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया और भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थान एक-दूसरे देश में कैंपस स्थापित कर एकेडमिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की लॉ ट्रोब यूनिवर्सिटी, विशेष स्पाट्र्स कोर्सों की पेशकश करती है तथा भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों में गठबंधन विद्यार्थियों को स्पाट्र्स एजुकेशन, स्पोटर्् रिसर्च के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करेगा, वहीं दोनों देशों की सरकारें रिसर्च के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाना चाहती है। इस अवसर पर बात करते हुए प्रो. वी. कोरेनिव्स्क ने कहा कि नैनो टे1नोलॉजी सूचना प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण विज्ञान जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने में मदद कर रही है। इंटरनेशनल फैकल्टी ए1सचेंज प्रोग्राम छात्रों और फैकल्टी के लिए संबंधित क्षेत्र के बारे में अपने विचारों का आदान-प्रदान करने का एक मंच है। इस अवसर पर बात करते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो.चांसलर डॉ. आरएस बावा ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी का 7वां इंटरनेशनल ए1सचेंज प्रोग्राम है, जिसमें 33 देशों के 85 से अधिक प्रोफेसर और शिक्षाविद विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों के साथ अपने विचार साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी ए1सचेंज प्रोग्राम जहां एक ओर छात्रों को विभिन्न पृष्ठभूमियों से सीखने में मदद करते हैं, वहीं फैकल्टी का कौशल विकास कर देश के शैक्षणिक और टे1िनकल क्षेत्र में गुणव8ाा बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्रदान कर शिक्षा क्षेत्र की प्रगति सुनिश्चित करेगा।
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