आईटी क्षेत्र के उभरते विषयों के मद्देनजर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में फैकल्टी डिवेल्पमेंट प्रोग्राम का आयोजन
मोहाली 27 अगस्त (विजय)। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी,घड़ूआं ने अखिल भारतीय तकनीकी परिषद के सहयोग से इंटरनेट ऑफ थिंग्स एंड एवरीथिंग (आईओटी/आईओई) विषय पर फैकल्टी डिवेल्पमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिस दौरान विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने आईओटी सैक्टर के लाभ और चुनौतियों के मद्देनजर विचार-चर्चा में हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी के इले1ट्रॉनि1स और क6यूनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ए1सपट्र्स ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स और इंटरनेट ऑफ एवरीथिंग के तेजी से उभरते विषयों पर विस्तृत जानकारी साझा की। प्रोग्राम में ऑल इंडिया टे1िनकल कॉउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के रिसर्च ए1सपर्ट तथा फैकल्टी सहित कुल 2०० प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
स्मार्ट टे1नोलॉजी और आईओटी के उभरते क्षेत्र में फैकल्टी को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित 5 दिवसीय प्रोग्राम में ग्रेजुएट स्कूल ड्यू टैन यूनिवर्सिटी, डानंग, वियतनाम से साइंटिस्ट डॉ. आनंद नैयर; स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग टेलर यूनिवर्सिटी, मलेशिया के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ नूर ज़मान; ए.टी. किशोर वरिष्ठ सदस्य आईईईई; टे1सास इंस्ट्रूमेंट बैंगलोर उत्तम साहू सिस्टम इंजीनियर; सीएसई आईआईटी रुडक़ी के एसोसिएट प्रो. डॉ. सुदीप रॉय; डॉ. मोह6मद वाजिद एसोसिएट प्रोफेसर इले1ट्रॉनि1स इंजीनियरिंग विभाग, एएमयू अलीगढ़; पैट्रियट लैब आईआईआईटी, हैदराबाद के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आफताब एम. हुसैन; एससीआईएस हैदराबाद यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र कुमार सूर्यदेवरा; डॉ निकेश बजाज; डॉ. मोह6मद समर अंसारी, एसोसिएट प्रोफेसरए इले1ट्रॉनि1स इंजीनियरिंग विभाग एएमयू अलीगढ़; जे हेंसिल पीटर; डाटा एडवांसर लै4स हैदराबाद तेलंगाना से राजेश प्रभाकर और Ÿ स्वप्निल सौरव विशेष रूप से मौजूद रहे।
सेशन के दौरान डॉ. आनंद नैयर ने कहा कि स्मार्ट टे1नोलॉजी की मदद से दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और आने वाले 5-6 साल में सोसायटी और इंडस्ट्रियल क्षेत्र में आमूल परिवर्तन देखने को मिलेंगे। क्ने1िटविटी की आवश्यकता और वायरलेस क6युनिकेशन स्टैंडर्ड के लिए पिछले 1-2 साल में मह8वपूर्ण बदलवाव देखने को मिले हैं। तकनीक लगातार फलफूल रही है और न्यू टे1नोलॉजी स्टेंडर्ड, प्रोटोकोल और रेफरेंस आर्किटेक्चर डिजाइन हो रहे हैं। अत: हमें भविष्य के स्मार्ट 1ने1िटड वल्र्ड के निर्माण के बारे में सोचना होगा, जिसके माध्यम से न केवल हर इन्फोरमेशन सभी के लिए उपल4ध हो, बल्कि इंडस्ट्री 5.०, सोसायटी 5.०, स्मार्टसिटीज, सस्टेनेबल क6प्युटिंग और सतत विकास के लिए कार्य करना होगा, जहां मशीनें हमारे लिए निर्णय ले सकें।
इस अवसर पर बात करते हुए ए.टी. किशोर ने कहा कि टे1नोलॉजी का विस्तार अब अगले अत्याधुनिक चरण में चला गया है, प्रौद्योगिकी की परिभाषा अब स्मार्टफोन, टीवी या स्मार्टवॉच तक सीमित नहीं है, इसकी जगह इंटरनेट ऑफ थिंग्स ने ले ली है। उन्होंने आईओटी के वर्तमान और भविष्य के प्रॉस्पे1टस के बारे में बताया और विभिन्न अनुप्रयोगों और उनकी प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ संबंधित कारों, यूएवी और आईओटी फ्यूजन के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। इसके अलावा डॉ. नागेंद्र कुमार सूर्यदेवरा ने 1लाउड आधारित आईओटी और नेटवर्किंग पर बात करते हुए फॉग कंप्यूटिंग की अवधारणा, कम समय और वास्तविक समय डाटा विश्लेषण से संबंधित ऐज्ज और क्लाउड के मुद्दों की व्याख्या की।
सेशन के दौरान बात करते हुए उत्तम साहू ने प्रतिभागियों को चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने चिकित्सा उपकरणों के वर्गीकरण पर एक उत्कृष्ट कवरेज प्रदान करने के साथ-साथ मेडिकल डिवाइस प्रोजे1ट्स को लागू करने और चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करते समय रोगी की सुरक्षा के लिए विभिन्न आईईसी मानकों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। इसके अलावा डॉ. सुदीप रॉय ने सैटेलाइट इमेजिंग, रिमोट सेंसिंग और आईओटी के माध्यम से आपदा का जल्द पता लगाकर होने वाले जोखिम में कमी के लिए विभिन्न कारकों और मानकों की व्या2या की। उन्होंने कहा कि आईओटी का इस क्षेत्र में व्यापक प्रयोग प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में उपयोगी साबित होगा तथा ए6बेडेड सिस्टम, वायरलेस सेंसर नेटवर्क, नियंत्रण प्रणाली, स्वचालन जैसी पारंपरिक तकनीकों का प्रयोग आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करेगा।
Please Share This News By Pressing Whatsapp Button