♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

गेहूं-चावल सेहत के लिए हानिकारक है, मिलेट्स को आहार में शामिल कर रह सकते हैं रोगों से दूर : गुरु मनीष

मोहाली, 6 अक्टूबर (विजय)। शुद्धि आयुर्वेद के संस्थापक गुरु मनीष का मत है कि गेहूं व चावल की जगह कंगनी, हरी कंगनी, सांवा, कोडो और कुट्टी जैसे मिलेट्स को आहार में शामिल करके न सिर्फ सेहतमंद रहा जा सकता है, बल्कि अनेकानेक रोगों से भी बचा जा सकता है। ये हमारे मूल अनाज हैं, जबकि न्यूट्रल मिलेट्स में बाजरा, रागी, चना, ज्वार और मक्का शामिल हैं। मिलेट्स ऐसे अनाज हैं, जो शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने में सक्षम हैं, क्योंकि ये नियामिन, फ्लेमिन, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन, खनिज आदि से भरपूर हैं।
गुरु मनीष ने कहा कि मिलेट्स अथवा मोटे अनाज की फसलें प्राकृतिक हैं। इन पर रसायनों का छिड़काव नहीं किया जाता है। इनके जींस में भी बदलाव नहीं हुआ है, जबकि गेहूं-चावल पूरी तरह बदल चुके हैं। गेहूं-चावल खाने से लोगों का भार सही अनुपात में नहीं रहता और यौन रोग बढ़े हैं। महिलाओं में प्रजनन क्षमता कम हुई है। मिलेट्स में फाइबर या रेशों की मात्रा सबसे अधिक होती है। गेहूं में फाइबर की मात्रा 1.5 प्रतिशत, चावल में 0.2 प्रतिशत, और मिलेट्स में 12.5 प्रतिशत होती  है। भारत में पेट के रोग, जेनेटिक गड़बड़ियां और शुगर बढऩे का बहुत बड़ा कारण भोजन में गेहूं और चावल का ज्यादा प्रयोग है। उनका कहना है कि जो गेहूं हम खा रहे हैं, वह जेनेटिक रूप से परिवर्तित है। इसकी जगह यदि हम पौष्टिक मिलेट्स को बदल-बदल कर खायें, तो एक-दो हफ्ते के अंदर मधुमेह की समस्या कम हो जाती है। रक्तचाप दो से चार सप्ताह के अंदर काबू में आ जाता है। गंभीर कैंसर रोगियों को तक दो से चार माह में लाभ मिल जाता है।
गुरु मनीष  ने कहा- मैं चाहता हूं कि हर मनुष्य अपना चिकित्सक खुद बने और बीमार ही न पड़े। इसके लिए भोजन, हवा, पानी, व्यायाम और सही सोच मायने रखती है। आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ तीन प्रकृतियां बतायी गयी हैं। यदि किसी का वात कुपित हो जाये, तो जोड़ों का दर्द होता है। पित्त बिगड़ने पर रक्त में संक्रमण, यकृत रोग और मधुमेह हो जाता है। कफ बिगड़ने पर अस्थमा, सांस फूलना, जुकाम, खांसी हो जाती है। मिलेट्स पचने में आसान होते हैं और इनसे शरीर में प्रोबायोटिक्स का लेवल भी सुधारा जा सकता है।   शुद्धि आयुर्वेद द्वारा  हिम्स (हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेस) नेचर केयर सेंटर स्थापित किये गये हैं। इनमें सरकारी कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा है। आयुष बीमा कार्डधारकों को भी इलाज की सुविधा मिलती है। हिम्स में डॉ. अमर सिंह आजाद, डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, डॉ. अवधेश पांडेय और डॉ. खादर वली का विशेष योगदान है। हिम्स क्लीनिक में औषधियां नहीं दी जातीं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव लाकर श्वसन, मधुमेह, बीपी, लीवर व गुर्दे की समस्याओं और जोड़ों के दर्द जैसे कई रोगों का इलाज किया जाता है। हिम्स सेंटर में मिलेट्स से तैयार भोजन दिया जाता है। हर्बल औषधि के रूप में, अमरूद, पीपल, गिलोय के पत्तों से तैयार काढ़ा दिया जाता है। योग, ध्यान के साथ सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाता है। इस तरह 90 प्रतिशत रोगी स्वस्थ हो गये हैं। शेष 10 प्रतिशत मरीजों को ही आयुर्वेद, नेचुरोपैथी या पंचकर्मा जैसी चिकित्सा की जरूरत पड़ती है।

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

आप अपने सहर के वर्तमान बिधायक के कार्यों से कितना संतुष्ट है ?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129