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चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं ने किया ‘ग्लोबल एजुकेशन समिट-2०21’ का आयोजन; 26 देशों के 5० से अधिक अकादमिक प्रतिनिधि हुए शामिल

मोहाली 12 अक्तूबर (विजय)।  ‘‘उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग, निस्संदेह अकादमिक प्रतिनिधियों को शैक्षणिक क्षेत्र की गुणव8ाा में सुधारात्मक प्रयास और एक प्रभावी सिस्टम को विकसित करने तथा अन्य देशों के साथ सहयोग और अनुभव के आदान-प्रदान में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है। ये शब्द चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूआं में आयोजित ग्लोबल एजुकेशन समिट-2०21 के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ फिजी की वाइस चांसलर डॉ. सुशीला चांग ने कहे। विश्वविद्यालयों की गुणव8ाा में सुधार के लिए वैश्विक स्तर पर साझेदारियों को बढ़ावा देने और सोशल इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं द्वारा 2 दिवसीय ग्लोबल एजुकेशन समिट का आयोजन किया गया। जिस दौरान अमेरिका, मलेशिया, गाजा, मॉरीशस, आयरलैंड, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन, लीबिया और चिली सहित 26 देशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 5० से अधिक प्रेसिडेंट और चांसलर और वाइस चांसलर वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं के प्रो. चांसलर डॉ. आरएस बावा विशेष तौर पर मौजूद रहे। यूनिवर्सिटी ऑफ फिजी की वाइस चांसलर डॉ. सुशीला चांग ने कहा कि कई देश छात्रों को इंग्लिश में कोर्स की बजाय अपनी मातृभाषा में पढ़ाई के अवसर प्रदान कर रहे हैं, जो कि एक सराहनीय प्रयास है। डॉ. सुशीला चांग ने कहा ‘मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करना उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए । प्रो. इयान फाइंडले ने कहा कि ‘कई विश्वविद्यालय अपने पुराने-पारंपरिक सीखने के विचारों के साथ एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण भविष्य का सामना कर रहे हैं। ‘कोविड-19 संकट ने विश्वविद्यालयों के स्वर्ण युग के अंत को गति दी है।
प्रो. पॉल अहलूवालिया ने कहा, विश्वविद्यालयों को एक हाइब्रिड उच्च शिक्षण मॉडल को लागू करने और टीचिंग टे1नोलॉजी में इनोवेशन को बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ. कार्ला ओचोटोरेना ने कहा कि विश्वविद्यालयों को संकट की तैयारी के लिए योजना और प्रबंधन में अपने छात्रों को शामिल करना चाहिए और इन सब प्रक्रियाओं के माध्यम से हम छात्रों की अकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो.चांसलर डॉ. आरएस बावा ने कहा कि शिक्षा जगत में समय-समय पर बदलाव और विकास हुए हैं, लेकिन कोविड संकट के दौरान बनी स्थिति ने उच्च शिक्षा संस्थानों को पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है।

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